Ajab-Gajab : कर दिया था अंतिम संस्कार, दो साल बाद घर लौटा तो हर किसी की आंखें रह गईं फटी की फटी

Rakesh Kumar
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kamlesh

Ajab-Gajab : यह दुनिया अजब-गजब खबरों से अटी पड़ी है। ऐसी खबरों पर विश्वास करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। लगता ही नहीं है कि ऐसा भी हुआ है। आज हम आपको जिस न्यूज के बारे में बता रहे हैं उसका हाल भी कुछ ऐसा ही है। जानकारी के अनुसार दो साल पहले जिस व्यक्ति को मृत मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था, वही व्यक्ति अब अपने गांव लौट आया है। इस बात ने हर किसी को चौंका दिया है। दरअसल हुआ यूं कि परिजनों ने जिस शख्स का दाह संस्कार किया था वह एक अस्पताल में कोविड-19 के कारण मृत घोषित कर दिया गया था। अब वह मध्य प्रदेश में धार जिले में फिर से आ गया है। दो साल पहले मृत बताए गए 35 वर्षीय कमलेश पाटीदार को देखकर सभी हैरान रह गए। उसने शनिवार (15 अप्रेल) को सुबह 6 बजे के करीब कारोडकला गांव में अपनी मौसी के घर का दरवाजा खटखटाया। उसे देख एक बार तो किसी को भी विश्वास नहीं हुआ। पूरे गांव वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं।

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2021 में कोविड-19 की चपेट में आया था कमलेश

Ajab-Gajab : कमलेश के कजिन मुकेश पाटीदार के मुताबिक कमलेश साल 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बीमार पड़ गया था। उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल ने उसकी बॉडी रिश्तेदारों को सौंप दी, जिन्होंने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। अब वह घर आ गया है, लेकिन उसने अभी तक यह नहीं बताया कि वह दो साल तक कहां रहा। कानवान पुसिल स्टेशन इनचार्ज राम सिंह राठौड़ ने बताया कि कमलेश के रिश्तेदारों के मुताबिक वह 2021 में कोरोनावायरस की चपेट में आ गया था और उसे वडोदरा (गुजरात) के एक अस्पताल में एडमिट कराया गया था।

कमलेश के बयान से होगा पूरा खुलासा

Ajab-Gajab : चिकित्सकों ने उसे कोविड-19 संक्रमण के चलते मृत घोषित कर दिया। इसके बाद अस्पताल ने उसकी बॉडी सौंप दी। परिजन कमलेश का अंतिम संस्कार कर गांव लौट आए। शनिवार को परिवार वालों को पता चला कि वह जिंदा है। इस मामले का पूरा खुलासा तब ही होगा जब कमलेश अपना बयान रिकॉर्ड कराएगा। लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं। वे ये तो मान रहे हैं कि उस समय कोविड संक्रमण के डर से लोग शव के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे थे, ऐसे में कमलेश के परिजनों को शायद दूसरे व्यक्ति का शव सौंप दिया गया था। हालांकि यह बात हजम नहीं हो रही कि कमलेश दो साल तक वापस गांव क्यों नहीं आया।

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